आरक्षित वन क्षेत्र में नगर पालिका जोशीमठ कूड़ा जलाता रहा, वन विभाग आंख पर पट्टी बांधकर सोता रहा

जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद नगर क्षेत्र के अंतर्गत सभी प्रकार के निर्माण कर्यों पर रोक है। जोशीमठ के टीसीपी के समीप वन विभाग द्वारा लाखों की लागत से टेलिस्कोप व्यू पॉइंट का निर्माण किया जा रहा है। निर्माण स्थल पर भूमि को लेकर नगर पालिका और नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन आमने-सामने हैं।जहां वन विभाग का दावा है कि जिस जगह पर विभाग द्वारा निर्माण कार्य किया जा रहा है वो जमीन आरक्षित वन क्षेत्र के अंतर्गत आती है लेकिन नगरपालिका प्रशासन जोगीधारा तक अपनी सीमा होने का दावा करता है जहां पर नगरपालिका द्वारा कूड़ादान बनाया गया है और धड़ल्ले से जोशीमठ नगर का कूड़ा वहां जलाया जा रहा है। इसी क्षेत्र में पालिका द्वारा अपने बजट से पार्क निर्माण, स्ट्रीट लाईट भी लगाई गई है। लेकिन वन विभाग को अपनी सीमा का पता तब चला जब प्रशासन ने जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्रान्तर्गत निर्माण कार्यों पर पाबंदी के चलते नन्दा देवी राष्ट्रीय पार्क की ही जांच चौकी के नजदीक निर्माणाधीन टेलिस्कोप व्यू पॉइंट के निर्माण पर रोक लगा दी उसके बाद वन विभाग और पालिका प्रशासन ने सीमांकन के कागज खंगालने शुरू किए जिसमें वन विभाग 17 मई 1982 के गजट नोटिफिकेशन का हवाला दे रहा है जिसमें जो सीमा नगरपालिका की समझी जा रही थी वो आरक्षित वन क्षेत्र के अंतर्गत आती है। अब सवाल ये पैदा हो रहा है कि जब उद्यान विभाग से लेकर सेलंग की वन पंचायत तक आरक्षित वन क्षेत्रान्तर्गत आता है तो नगर पालिका द्वारा पिछले 20 वर्षों से भी अधिक समय से इस क्षेत्र में कूड़ा डंपिंग जोन बनाया गया है, कूड़ा जलाया जा रहा था तब वन विभाग कहाँ सोया रहा? सवाल यह भी है कि नगरपालिका जोशीमठ की सीमा नगर से 14 किमी0 पैंका और 4 किमी0 परसारी तक फैली है लेकिन एक तरफ से सीमा नगर से 0 किमी0 पर अटक गई है। जबकि पूर्व में नगर पालिका जोशीमठ अपना क्षेत्रफल बढ़ाना चाहता था जिसके तहत पैनी, सेलंग, मेरग, बड़ागांव और चाईं गांव तक सीमा विस्तार की योजना थी लेकिन इन गांवों के लोगों के विरोध चलते नगर पालिका का सीमा विस्तार का प्रस्ताव फिलहाल ठंडे बस्ते में है।

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