पंच प्यारों की अगुवाई में सिक्ख श्रद्धालुओं का पहला जत्था श्री हेमकुण्ड साहिब के लिए हुआ रवाना

गुरुद्वारा गोविन्दघाट से बैण्ड बाजों की धुन के साथ पंच प्यारों की अगुवाई में पवित्र निशान के साथ सिक्ख श्रद्धालुओं का पहला जत्था हेमकुण्ड साहिब के लिए रवाना हो गया है।
इस प्रथम जत्थे की अगुवाई पावन पंच प्यारों द्वारा की गई, जो सिक्ख परंपरा में अत्यंत सम्मानित हैं। बैण्ड बाजों की मधुर धुन और ‘जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ के जयकारों के साथ श्रद्धालुओं का पहला समूह अपनी कठिन किंतु फलदायी यात्रा पर निकला।
निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, यह पहला जत्था आज रात्रि घांघरिया स्थित गुरुद्वारे में विश्राम करेगा। कल प्रातः, दिनांक 25 मई 2025 को, यह समूह घांघरिया से श्री हेमकुण्ड साहिब के अंतिम पड़ाव के लिए प्रस्थान करेगा।
इस जत्थे के वहां पहुंचने के उपरांत ही, पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ श्री हेमकुण्ड साहिब के कपाट सामान्य श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ आधिकारिक रूप से खोल दिए जाएंगे।
जिनका आज रात्रि विश्राम घांघरिया स्थित गुरुद्वारे में होगा। एवं कल प्रातः यह जत्था हेमकुण्ड साहिब के लिए रवाना होगा। तदुपरान्त हेमकुण्ड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे।उत्तराखंड के पांचवे धाम श्री हेमकुंड साहिब के कपाट खोलने की तैयारी पूरी कर ली है। शनिवार को पंच प्यारे के नेतृत्व में गोविंदघाट गुरुद्वारे से श्रद्धालुओं का पहला जत्था हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हो गया।
शनिवार को हेमकुंड साहिब के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। गुरुद्वारा कमेटी की ओर से हेमकुंड साहिब में सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर दी गई हैं।
सप्त श्रृंग पर्वत मालाओं के बीच 4160 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने तपस्या की थी। जिसके बाद से सिखों का ये पवित्र तीर्थ प्रकाश में आया और इस समुदाय के लोग 19 किमी0 की कठिन चढ़ाई को पार कर हेमकुंड साहिब पहुचते है।

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