तिब्बत चीन सीमा पर बसे भारत के प्रथम गांव के रूप में विख्यात माणा गांव में आज से चार दिवसीय लास्पा मेले का शुभारंभ हो गया है।
आज आयोजन के प्रथम दिवस पर देव पस्वाओं घन्याल देवता, माँ चंडिका, भवानी, वीर देवता ने अवतरित होकर गाडु स्नान स्नान किया। घंटाकर्ण घन्याल पूजा लस्पा का आयोजन चार दिनों तक चलेगा जिसमें अनेक धार्मिक धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न होंगे तथा आयोजन घन्याल देवता के चोपता प्रांगण में पूजन-अर्चन किया जाएगा।
मेले के अंतिम दिन क्षेत्रपाल घंटाकर्ण के उत्सव विग्रह को शीतकाल में 6 माह के लिए अज्ञात स्थान रखा जाएगा। इस वर्ष के अंतिम दर्शन के लिए माणा गांव के सरकारी व गैर सरकारी नौकरियों पर सेवा दे रहे ग्रामीण व अन्य श्रद्धालुओं की माणा गांव में भीड़ उमड़ी है। वहीं मेले का समापन होते ही माणा गांव के ग्रामीण भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद होने के बाद अपने शीतकाल प्रवास 6 माह के लिए गोपेश्वर, घिंगराण, सिरोखोमा, जोशीमठ व अन्य स्थानों के लिये प्रस्थान करेंगे। प्रत्येक वर्षों की भांति अगले वर्ष गांव के अन्य चार परिवारों को सेवा करने के लिए न्योता दिया जायेगा।
इस अवसर पर देव पश्वा आशु कनखोली, रघुवीर कंडारी, भगत सिंह टकोला कुंदन सिंह, जगदीश परमार, दिलबर, ग्राम प्रधान माणा प्रधान पीतांबर मोल्फा, मोहन टिकोला समेत ग्रामीण मौजूद रहे।