कल्पेश्वर महादेव भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर जहां निसंतान दंपत्ति को शिवरात्रि की रात्रि को रात्रि जागरण करने से संतान की प्राप्ति होती है

पंच केदारों में से एक पांचवे केदार के रूप में स्थापित भगवान शिव का मंदिर कल्पेश्वर महादेव जहां भगवान शिव के जटाओं की पूजा होती है। कल्पेश्वर महादेव का मंदिर ज्योतिर्मठ प्रखंड के उर्गम घाटी में स्थित है। यह मन्दिर उर्गम घाटी में समुद्र तल से लगभग 2134 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। मंदिर वर्षभर खुला रहता है और वर्षभर श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते है। मंदिर तक पहुंचने के लिए हेलंग नामक स्थान से 16 किलोमीटर वाहन से पहुंचा जा सकता है। फाल्गुन माह में आने वाली महाशिवरात्रि पर इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना होती है और भक्तों का तांता लगा रहता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि की रात्रि को निःसंतान दंपति मंदिर प्रांगण में जागरण करते है और भगवान उनको संतान प्राप्ति का वर देते है और जागरण के लगे वर्ष निश्चित रूप से दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है। यहीं कारण है कि हर महाशिवरात्रि पर दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते है और भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते है। इस वर्ष भी 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व है और कल्पेश्वर महादेव मंदिर में मंदिर समिति द्वारा सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर दी गयी है। कल्पेश्वर महादेव मंदिर पंच केदारों में से एकमात्र ऐसा केदार है जिसके कपाट वर्षभर खुले रहते है और वर्षभर श्रद्धालुओं का मंदिर में दर्शन हेतु आवागमन जारी रहता है। वर्तमान समय में मंदिर समिति का प्रबंधन कल्पनाथ मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के पास है जिसमें उर्गम घाटी के देवग्राम, भर्की-भेंटा, ल्यांरी-थैणा, सलना, गीरा-बांसा, बड़गिंडा, पिलखी, अरोसी गांव सम्मिलित है। कल्पेश्वर मंदिर के पुजारी उर्गम घाटी के ही भल्ला वंशजों में से होते है जो वर्षभर भगवान कल्पेश्वर की पूजा-अर्चना करते है। उर्गम घाटी प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है तथा इस घाटी का धार्मिक महत्व भी है। इसी घाटी में पंच बदरी में से एक ध्यान बदरी मंदिर है, प्रसिद्ध वंशीनारायण और फ़्यूला नारायण मंदिर भी इसी घाटी में है। साहसिक पर्यटन की दृष्टि से भी घाटी प्रसिद्ध है यहां से नन्दीकुंड, भनाई, पाण्डवसेरा, मध्यमहेश्वर, रुद्रनाथ जैसे ट्रेकिंग मार्ग यहां से जाते है। उर्गम घाटी में पर्यटकों और श्रद्धालुओं को ठहरने के लिए स्थानीय लोगों ने पहाड़ी शैली में अनेक होम-स्टे बनाये है और इन होम-स्टे में पहाड़ी खाना पारंपरिक रूप से पर्यटकों और श्रद्धालुओं को परोसा जाता है।
कल्पेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी दर्वान सिंह नेगी का कहना है कि मंदिर में भगवान शिव के जटाओं की पूजा होती है और यहां भगवान शिव के रुद्राभिषेक पूजा का भी विशेष महत्व है। कहते है महाशिवरात्रि के अवसर पर रात्रि जागरण करने और भगवान का अविरल स्मरण करने से निःसंतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है।
कल्पनाथ मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष विनोद सिंह नेगी, सचिव संदीप सिंह नेगी, रघुवीर सिंह नेगी का कहना है कि महाशिवरात्रि पर होने वाले विशेष आयोजन की तैयारी समिति द्वारा पूरी कर ली गयी है। कहा कि शिवरात्रि पर्व पर मंदिर परिसर में रात्रि जागरण में विशेष भजन-कीर्तन की व्यवस्था की गई है। साथ ही उर्गम घाटी के ग्रामीणों, महिला मंगलदलो, युवक मंगलदलो द्वारा महाशिवरात्रि पर्व के आयोजन में विशेष सहयोग किया जायेगा।

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