उत्तराखण्ड में वन उत्पाद, जड़ी-बूटियों और झूला घास पर वन विभाग ने रॉयल्टी बढ़ा कर 40 प्रतिशत कर दी जिसके बाद पर्वतीय क्षेत्र के काश्तकार जो वन उत्पादों का संग्रहण कर अपनी आजीविका चलाते है उनको नुकसान हो रहा है। वन विभाग द्वारा बढ़ायी गयी रॉयल्टी से वन क्षेत्रों में वन ऊपज का संग्रहण कर अपनी आजीविका चलाने वाले काश्तकारों की आय में भारी कमी आयी है जिससे लोगों में वन विभाग के प्रति भारी रोष है।बृहस्पतिवार को भाजपा कार्यसमिति के सदस्य और उत्तराखंड भवन एवं अन्य संन्निर्माण कर्मकार बोर्ड के सदस्य कृष्णमणि थपलियाल ने सूबे के वन मंत्री सुबोध उनियाल एवं उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख वन संरक्षण(HOFF), धनंजय मोहन से मुलाकात कर वन विभाग द्वारा वन उत्पादों पर बढ़ायी गयी 40 प्रतिशत रॉयल्टी को वापस लेने का अनुरोध किया है।
उन्होंने मुलाकात के दौरान एक ज्ञापन भी वन मंत्री को सौंपा जिसमें कहा गया है कि वन विभाग द्वारा बढ़ायी गयी रॉयल्टी पर्वतीय क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों और वन क्षेत्र से विदोहित कर वन उत्पादों से अपनी आजीविका चलाने वाले लोगों के हित में नहीं है।
मुलाकात के बाद कृष्णमणि थपलियाल ने कहा कि रॉयल्टी बढाने वाले फैसले को वापस लेने की मांग को लेकर उन्होंने आज पुनः उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल एवं उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख वन संरक्षण (HOFF) डॉ धनंजय मोहन से भेंट कर जड़ी-बूटी, झूलाघास पर बढ़ाई गई रॉयल्टी को कम करने को लेकर मुलाकात की। उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्र के गरीब काश्तकारों को हो रही समस्या के बारे में अवगत कराया जिस पर वन मंत्री ने सीमांत क्षेत्र के गरीब काश्तकारों को आ रही समस्या को गंभीरता से लेते हुए, प्रमुख वन संरक्षक को तत्काल समाधान निकालने हेतु निर्देशित किया। उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख वन संरक्षक (HOFF) द्वारा 15 दिन के अंदर इस विषय पर सकारात्मक फैसला लेने का आश्वासन दिया गया है।