“चमोली” का नाम ज्योतिर्मठ के आराध्यदेव ‘चन्द्रमौली’ पर पडा है- ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अभिमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

ज्योतिर्मठ के आराध्यदेव चन्द्रमौली के नाम पर पडा है उत्तराखण्ड के जिले चमोली का नाम

इतिहास साक्षी है कि बदरिकाश्रम क्षेत्र भगवान नर-नारायण की तपस्थली रहा है । इस क्षेत्र में जब आदि शंकराचार्य ने अपने द्वारा स्थापित शंकराचार्य पीठों में से एक ज्योतिर्मठ की स्थापना की तो पूरे क्षेत्र को अपने आराध्य चन्द्रमौली भगवान के नाम पर चमोली नाम दिया। ज्योतिष्पीठ द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम “चमोली मंगलम्” कार्यक्रम के तहत भगवान चन्द्रमौली का जनपद भ्रमण कार्य चल रहा है। चमोली के गौचर से प्रारंभ होकर ज्योतिर्मठ – बदरीनाथ- माणा- नीती- मलारी- लाता- भविष्यबदरी- सलूड- मैठाणा- गोपेश्वर- बैरासकुण्ड- कुरूड- अनुसूइया – अत्रि आश्रम- नारायणबगड- थराली- गैरसेण- आदिबदरी – कर्णप्रयाग – नौटी आदि सभी तहसील क्षेत्रों में चमोली का मंगल मनाते हुए यात्रा की जाएगी ।

चमोली मंगलम् कार्यक्रम विश्व मंगल भावना की एक प्रथमिक कडी है।

भारतीय संस्कृति में विश्वमंगल की कामना सदा विद्यमान है रही है। इसी प्राथमिक कडी के रूप में उत्तराखण्ड के चमोली जिले के मंगल बीडा ज्योतिर्मठ के द्वारा उठाया गया है। जिसके अन्तर्गत यह पहला कार्यक्रम है जिसमें क्षेत्रीय आवश्यकताओं और समस्याओं को समझने तथा चमोली जिले के चप्पे-चप्पे की मंगल की कामना से हर तहसील क्षेत्र में भगवान चन्द्रमौली की पूजा अर्चना तथा भ्रमण किया जा रहा है।

‘जय ज्योतिर्मठ’ हो हमारा नारा

ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अभिमुक्तेश्वरानंद महाराज ने केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और ज्योतिर्मठ नगर पालिका परिषद जोशीमठ को उसका पौराणिक ना वापस देने में सहयोग करने के लिए धन्यवाद किया, और सम्बन्धित व्यक्तियों जिनका इस कार्य में प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष योगदान रहा है उनका भी आभार प्रकट किया।
उन्होने नारा देते हुए कहा कि परिचित मिलने पर और अन्य मौकों पर अगर हम “जय ज्योतिर्मठ” का नारा बोलेंगे तो ज्योतिर्मठ का वह स्वरूप जल्द ही निकल कर आ जाएगा जिससे वह पूरे उत्तर भारत का धर्मकेन्द्र निरूपित होगा

पूरा ज्योतिर्मठ होगा एकसाथ

ज्योतिर्मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि जोशीमठ को उसका पुराना, पौराणिक नाम ज्योतिर्मठ प्राप्त होने के उपलक्ष्य में पूरे ज्योतिर्मठ प्राप्त होने के उपलक्ष्य में पूरे ज्योतिर्मठ नगर को ज्योतिर्मठ मानकर शीघ्र ही एक ऐसा कार्यक्रम आयोजित करने पर विचार किया जा रहा है । जिसमें पूरा नगर एक ज्योतिर्मठ परिवार होने का अनुभव कर सके। शीघ्र ही कार्यक्रम का स्वरूप ज्योतिर्मठ निवासियों से चर्चा कर घोषित किया जाएगा।

ठगों धूर्तों से सावधान रहने की जरूरत

ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि ज्योतिर्मठ के बढते उत्कर्ष को देखकर कुछ षड्यंत्रकारी ठगी और धूर्तता पर भी उतर आए है, गोविन्दानन्द और प्रज्ञानन्द नाम से कुछ लोग स्वयं ब्रह्मलीन ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज का शिष्य और ज्योतिर्मठ से सम्बन्धित लोगों में भ्रम उत्पन्न कर रहे हैं इनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्मी जन कृपया सावधान रहें ।
मठ में देवी जी का पाटोत्सव सम्पन्न, लोकगायिका पूनम सती द्वारा भजन प्रस्तुतियां की गई।

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