12 मई को ब्रह्ममुहूर्त में सुबह 6 बजे विश्व प्रसिद्ध भगवान बदरीनाथ जी के कपाट खुलेंगे। जिसकी प्रक्रिया हुयी शुरू हो गयी है। टिहरी राजदरबार से तिल के तेल का गाडू घड़ा कर्णप्रयाग के डिम्मर गांव में पूजा अर्चना के बाद बृहस्पतिवार को जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर में पहुंचा जहाँ गाडू घड़े की विधि-विधान से पूजा अर्चना की गयी।भगवान बदरी विशाल और शंकराचार्य की गद्दी की शीतकालीन पूजा जोशीमठ नृसिंग मंदिर में होती है जहाँ से कल शुक्रवार को भगवान शंकराचार्य जी की गद्दी, तेल कलश और बदरीनाथ जी के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूरी बदरीनाथ जी के शीतकालीन पूजास्थल पांडुकेश्वर के योगबदरी की ओर रवाना होंगे। जहाँ रावल जी द्वारा भगवान कुबेर, उद्धव, बासुदेव और बदरीनाथ जी की एक दिवसीय पूजा अर्चना की जाती है। उसके बाद शंकराचार्य की गद्दी, कुबेर और उद्धव जी की डोली बदरीनाथ धाम के लिए रवाना होगी।
कपाट खुलने से पूर्व बदरीनाथ धाम में लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी है। मंदिर के साथ ही आस-पास के क्षेत्र में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा गया है।