जोशीमठ भू-धंसाव प्रभावित मूल, पुस्तैनी निवासी की मांगे नहीं मानी तो आगामी लोकसभा चुनाव का होगा बहिष्कार

जोशीमठ भू-धंसाव प्रभावित मूल, पुस्तैनी, हक-हकूकधारियों ने आज अपनी 15 सूत्रीय मांगों को लेकर भारी संख्या में पहुंच कर जन आक्रोश रैली निकाली जिसमें 9 वार्डों के लगभग 2000 लोग शामिल हुए जिसमें बच्चे, महिलाएं, बृद्ध, नौजवान सम्मिलित हुए और बाजे-भोंकुरे, कंडी, हल लेकर आंदोलन में भारी एकजुटता और आक्रोश प्रकट किया। आक्रोशित मूल, पुस्तैनी निवासियों का कहना है कि सरकार जोशीमठ भू-धंसाव प्रभावितों के लिए जो नीतियां बना रही है उसमें उनके गौचर, मरघट, पनघट, कृषि, बागवानी, खेत-खलिहान को संरक्षित करने के लिए कोई नीति नहीं है। सरकार जोशीमठ के लोगों को उनकी इच्छा के विरुद्ध अन्यत्र बसाने का झुनझुना पकड़ा रही है लेकिन वो अन्यत्र बसने के पक्ष में नहीं है। लोग चाहते है कि जोशीमठ के अंतर्गत सुनील, गौंख से औली तक, होसी, रोगड़ से मनौटी तक स्थानीय मूल निवासियों की जमीनें है जो खतरनाक जोन से बाहर है वहां सरकार आधारभूत सुविधाओं का विकास करें और जोशीमठ लोगों को उनकी जमीनों में बसाया जाय। आज मूल निवासी स्वाभिमान संगठन जोशीमठ आह्वाहन पर जोशीमठ समस्त मूल, पुस्तैनी निवासी जन आक्रोश रैली में भारी मात्रा में एकजुट हुए और सरकार को चेतावनी देते हुए ज्ञापन दिया कि यदि पंद्रह दिनों में उनकी 15 सूत्रीय मांगों को नहीं माना गया तो वो आगामी लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने के लिए बाध्य होंगे।मूल निवासी स्वाभिमान संगठन के अध्यक्ष भुवनचंद्र उनियाल का कहना है कि हमनें इससे पूर्व रैली की थी उसका थोड़ा बहुत असर सरकार पर हुआ लेकिन वो नाकाफी है, उनका कहना है कि सरकार हमारी यथाशीघ्र सुने अगर सरकार नहीं सुनती है तो हम आगामी लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने पर विचार करेंगे। संगठन के महामंत्री प्रकाश नेगी का कहना है कि सरकार मूल निवासियों की समस्या को नजरअंदाज कर रही है, जोशीमठ आपदा से सबसे अधिक पीड़ित यहां के मूल, पुस्तैनी निवासी है जो अपनी जायके मांगों को लेकर सड़कों पर है। यदि इसके बाद भी सरकार नहीं मानी को और उग्र आंदोलन के लिए यहां के मूल, पुस्तैनी निवासी बाध्य होंगे।
इस अवसर पर पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, भगवती प्रसाद नंबूरी, हरेंद्र सिंह राणा, प्रवेश डिमरी, प्रदीप भट्ट, वैभव सकलानी, अंशुल भुजवाण, आरती उनियाल, अनिता देवी, सीमा देवी, विनीता देवी समेत सैकड़ों मूल निवासी मौजूद रहे।

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