जोशीमठ नगर में यहां की मूल निवासियों एवं पुस्तैनी निवासियों द्वारा बाजार में सरकार और प्रशासन के विस्थापन एवं पुनर्वास नीति के विपल्प पत्र को लेकर आक्रोश रैली निकाली और विकल्प पत्र को प्रशासन को लौटा दिया।
जोशीमठ भू-धंसाव प्रभावित मूल एवं पुस्तैनी निवासियों का कहना है कि वो अपने जल, जंगल, जमीन, धार्मिक, सामाजिक ताने-बाने को छोड़ कर कहीं भी विस्थापित होने के पक्षधर नहीं है। 22 जनवरी को आपदा प्रबंधन सचिव को स्थानीय आपदा प्रभावित लोगों से बैठक हुई जिसके बाद प्रशासन ने जोशीमठ भू-धंसाव जोन को सार्वजनिक किया और 14 जोनों में जोशीमठ नगर के 9 वार्डों को रखा गया है। इन 14 अति संवेदनशील जोनों में 1200 घरों के अन्यत्र विस्थापन एवं वन टाइम सेटलमेंट का खाका इस बैठक में लोगों ने सम्मुख रखा गया। इन 14 जोनों में एनटीपीसी जिसे कि जोशीमठ के लोग भू-धंसाव का एक प्रमुख कारण मानते है और सैन्य क्षेत्र को को भी सुरक्षित जोन में रखा गया, जिसके बाद से जोशीमठ के मूल एवं पुस्तैनी निवासियों में सरकार और प्रशासन की खिलाफ भारी आक्रोश पैदा हो गया है।
मूल निवासी स्वाभिमान सुरक्षा संगठन के आह्वाहन पर सैकड़ों मूल निवासी आज सड़कों पर उतरे और तहसील तक भब्य आक्रोश रैली निकाली और सैकडों विकल्प फार्म प्रशासन को वापस किये। मूल निवासी का कहना है कि सरकार बिना यहां के लोगों का पक्ष जाने, उनसे राय-मशविरा किये जोशीमठ जैसे ऐतिहासिक शहर को बर्बाद करना चाहती है, लोगों के व्यावसायिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक हित जोशीमठ नगर से जड़े है और वो जोशीमठ के अंतर्गत सुरक्षित क्षेत्र में रहकर ही यहां की मान्यताओं और हितों से जुड़े रहना चाहते जिसकी सरकार कोई बात नहीं कर रही है सिर्फ और सिर्फ जोशीमठ नगर को उजाड़ने की ही बात सरकार और प्रशासन कर रहे है।
आक्रोश रैली के बाद मूल निवासियों ने मुख्यमंत्री को 8 बिंदुओं पर एक ज्ञापन दिया जिसमें जोशीमठ भू-धंसाव प्रभावितों के साथ ही मूल, पुस्तैनी निवासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए जोशीमठ नगर के पुनर्निर्माण, स्थायीकरण की बात कहीं गयी है। मूल निवासी समीर डिमरी का कहना है कि सरकार ने 108 दिन के आंदोलन के बाद जोशीमठ के उन घरों का ही मुआवजा दिया है जो असुरक्षित जोन में है, अब जब 1200 घर असुरक्षित जोन में शामिल किए गए है उनको लेकर सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है, उन्होंने कहा कि जमीन भवन के अलावा भी मूल निवासियों ने हक-हकूक है जिनको लेकर वो आज सड़कों पर है। पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती का कहना है कि जोशीमठ भू-धंसाव प्रभावितों के हाथ मे जो विकल्प फार्म थमाया गया है उसमें स्पष्ट बातें नहीं है, जिससे लोग असमंजस की स्थिति में है, उहोंने कहा कि आपदा को आये एक वर्ष बात गया लेकिन जिलाधिकारी आज तक जोशीमठ आपदा प्रभावितों की सुध लेने नहीं आये, उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार और प्रशासन से बार-बार गुहार लगाने के बाद भी यहां के लोगों के हितों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इस अवसर पर भुवनचंद्र उनियाल, भगवती प्रसाद नंबूरी, हरेंद्र सिंह राणा, प्रकाश नेगी, प्रवेश डिमरी, प्रदीप भट्ट, वैभव सकलानी समेत सैकड़ों मूल निवासी मौजूद रहे।