जोशीमठ बचाव संघर्ष समिति ने भू-धंसाव प्रभावितों की विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन, तहसील परिसर में दिया सांकेतिक धरना

जोशीमठ नगर भू-धंसाव आपदा प्रभावितों के पुनर्वास एवं जोशीमठ बचाओ संघर्ष समीति के साथ मुख्यमंत्री की सहमति के बिन्दुओं पर पूर्व में बानी सहमति पर कार्यवाही को लेकर आज भू-धंसाव प्रभावितों और जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री को सात सूत्रीय मांगों का ज्ञापन प्रेषित किया।
ज्ञापन प्रेषित करने से पूर्व आपदा प्रभावितों ने तहसील परिसर में मांगों पर कार्यवाही न होने के चलते सांकेतिक धरना भी दिया। जोशीमठ बचाओं संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने कहा कि दो वर्ष के अन्तराल के बावजूद आपदा प्रभावितों के सवाल हल नहीं हुए है सरकार को शीघ्रता से मुख्यमंत्री और आपदा प्रभावितों के मध्य बनी सहमति के बिंदुओं पर कार्यवाही करनी चाहिए। कहा कि दो वर्ष पूर्व लम्बे आन्दोलन के उपरान्त सरकार ने जोशीमठ आपदा प्रभावितों की सभी मांगों पर सहमति व्यक्त करके उन पर शीघ्र कार्यवाही का आश्वासन दिया था, जिसके उपरान्त सरकार के आग्रह एवं आश्वासन पर आन्दोलन स्थगित किया गया था, किन्तु दो वर्ष बीतने पर भी अभी तक प्रभावित अपनी समस्याओं के स्थाई हल की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
कहा कि प्रभावितों के कई परिवार अभी भी अस्थाई रूप से राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। सैकड़ों अन्य अपने भविष्य के प्रति अनिश्चित किराए पर अथवा उन्हीं क्षतिग्रस्त घरों में रहने को विवश हैं।
उन्होंने कहा कि कई लोगों को उनके घर का मुआवजा मिला है तो भूमि का मूल्य अथवा भूमि का चयन अभी तक नहीं हुआ है। जिससे विस्थापित पुनर्वासित होने की सारी प्रक्रिया ही रुकी हुई है और बहुत से लोगों का मुआवजा ही तय नहीं हो पाया है जिनमें, राजीव आवास, प्रधानमंत्री आवास, टिन शेड और परम्परागत पठाल पत्थर के घर आदि शामिल हैं ।
कहा कि जोशीमठ के सुदृढ़ीकरण के कार्य की शरुआत तो दूर अभी उसके लिए आवश्यक विस्तृत कार्य योजना रपट (डीपीआर) ही फाइनल नहीं हो पाई हैं। एक माह उपरान्त चारधाम यात्रा और दो माह बाद बरसात का काल प्रारम्भ हो जायेगा। जिससे पहले ही धंसाव से प्रभावित क्षेत्रों पर गंभीर असर होने की आशंका रहेगी।
उन्होंने कहा कि अप्रैल 2023 में आपके साथ बनी सहमति के कई बिन्दुओं पर सहमति बनी थी जिनमें, आपदा प्रभावितों के पुनर्वास हेतु भूमि का चयन और भूमि का मूल्य शीघ्र निर्धारित करने जिससे पुनर्वास की प्रक्रिया में गति आए, जब तक प्रभावितों का पूर्ण पुनर्वास नहीं हो जाता उनके बिजली पानी भवन आदि को उनके मानवीय अधिकार के तहत बहाल रखे जाने, पुनर्वास किए जाने से पूर्व सामाजिक आर्थिक प्रभाव आंकलन सर्वेक्षण किये जाने जो कि अब तक हो जाना चाहिए था, जिससे कि न्यायपूर्ण एवम व्यवस्थित पुनर्वास सम्भव हो सके, शासन-प्रशासन स्तर पर विभिन्न समयों में दिए गए सुझावों पर अमल किये जाने, जिन भवनों का मुआवजा अभी तय नहीं हुआ है यथा राजीव आवास प्रधानमंत्री आवास, टिन शेड, परम्परागत आवास आदि का मुवाजा शीघ्र तय किये जाने, सहमति के अनुरूप जोशीमठ आपदा से हुए सभी लोगों के नुकसान की भरपाई हेतु तय मुआवजे का शीघ्र निर्धारण कर वितरण किये जाने, जोशीमठ नगर की भार वहन क्षमता को कम करने हेतु सेना को सीमा की ओर अग्रिम क्षेत्रों में शिफ्ट करने का प्रस्ताव करने समेत बिन्दु शामिल थे जिन पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
ज्ञापन प्रेषित करने और सांकेतिक धरना देने वालों में मो.शमीन, भवानी हरीश लाल, सूराजमोहम थपलियाल, माहेश्वरी, ज्योति, तारा देवी, गौरा देवी, भारती देवी, सीता देवी सहित जोशीमठ भू-धंसाव आपदा प्रभावित उपस्थित थे।

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