माँ गढ़ी भवानी रामलीला कमेटी पैनी-अनिमठ के द्वारा 26 नवम्बर से रामलीला महायज्ञ का मंचन किया जा रहा है। मंगलवार 03 दिसंबर को महायज्ञ के मंचन के 8वें दिवस पर लंका दहन का मंचन किया गया।
रामलीला महायज्ञ के 8 वें दिवस के मंचन पर माता सीता की खोज में वानर दल युवराज अंगद के नेतृत्व में समुद्र तट पर पहुचे जहाँ से समुद्र लांघना दल के किसी भी सदस्य के बस में न होकर जामवंत के सुझाव पर महाबली हनुमान को उसकी शक्ति का अहसास कराया गया और युवराज अंगद के आदेश पर महाबली हनुमान ने लंका के लिए सौ योजन समुद्र के पार छलांग लगाई।
लंका में पहुंच कर महाबली हनुमान ने माता सीता की सुधि ली और श्रीराम चंद्र द्वारा पहचान के तौर पर दी गयी अंगूठी माता सीता को दी और श्रीराम दूत के रूप में अपना विस्तृत परिचय माता सीता को किया और श्रीराम सेना की कुशल-क्षेम और श्रीराम की व्याकुलता को भी विस्तृत वर्णन पवन पुत्र हनुमान ने माता सीता को बताया। माता सीता की अनुमति से अशोक वाटिका में फलों का भक्षण कर हनुमान ने वाटिका को उजाड़ दिया, उसके बाद युवराज अक्षय कुमार सहित रावण के कई बलशाली योद्धाओं का वध महाबली हनुमान द्वारा किया गया। उसके पश्चात लंकापति रावण के आदेश पर मेघनाथ द्वारा अशोक वाटिका पहुंच कर हनुमान से युद्ध और हनुमान जी को ब्रह्म फ़ांस में बांधकर लंकापति के सम्मुख पेश किया गया। जहां दरबार में रावण और महाबली हनुमान के संवाद ने सभी रामभक्तों का मन मोहा। लंकापति के मंत्रियों से विमर्श के बाद हनुमान की पूंछ पर आग लगाई गौए और महाबली हनुमान द्वारा लंका दहन किया गया। उसके बाद पवन पुत्र हनुमान ने माता सीता से अशोक वाटिका में जाकर विदाई ली और चूड़ामणि लेकर श्रीराम प्रभु के दल में माता सीता की सुधि लेकर लौटे। 8वें दिन के रामलीला महायज्ञ के मंचन के सैकड़ों भक्त साक्षी बने। रामलीला कमेटी पैनी-अनिमठ के अध्यक्ष जयदीप राणा ने कहा कि रामलीला महायज्ञ के मंचन में कड़ाके की ठंड के बावजूद भारी संख्या में रामभक्तों का पहुंचना यह दर्शाता है कि श्रीराम प्रभु के प्रति भक्तों की कितनी अगाध श्रद्धा और प्रेम है। उन्होंने कहा कि रामलीला मंचन अगले 3-4 दिन और चलेगा। रामलीला मंचन के 8वें दिन के अवसर पर पास के गांव सेलंग से भारी संख्या में रामभक्त पैनी पहुचे जहां देर रात तक मंचन के साक्षी बने।
इस अवसर पर वन पंचायत सरपंच सेलंग शिशुपाल भंडारी, मनमोहन बिष्ट, सुखदेव बिष्ट, मनमोहन रौतेला, विक्रम चौहान, राजेन्द्र चौहान, लक्ष्मण सिंह बिष्ट, बुद्धि सिंह झींक्वांण सहित भारी संख्या में रामभक्त मौजूद रहे।