बामन द्वादशी के अवसर पर मातमूर्ति से मिलने पहुंचे भगवान बदरी विशाल, कुशल क्षेम पूछकर लौटे धाम

आज बामन द्वादशी पर्व के अवसर पर बदरी विशाल में मातामूर्ति मेले का आयोजन संपन्न हुआ। मेले में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु माणा पहुंचे। इस अवसर पर माणा गांवों की भोटिया जनजाति की महिलाओं नें पारम्परिक भेषभूषा में भगवान का स्वागत किया।
बामन द्वादशी क असवर पर भगवान बदरी विशाल माँ से मिलने मातमूर्ति मंदिर जाते है और कुशलक्षेम पूछ फिर अपने धाम लौट आते है आज के दिन भगवान का  माँ की गोद में हुआ अभिषेक होता है और वहीं आज भगवान का भोग लगता है।
इस अवसर पर माणा की महिलाओं-पुरूषों द्वारा माता मूर्ति त्यौहार के लिए उगाये गयी पवित्र जौ की हरियाली के गुच्छों को भेंट कर देव–डोलियों का स्वागत किया। माता मूर्ति पहुंच कर जौ की हरियाली माता मूर्ति मंदिर में भेंट की गयी जिसे प्रसाद स्वरूप श्रद्धालुओं को दिया गया। माता मूर्ति मेला परिसर में बड़ी संख्या में ब्यापारियों ने दुकाने भी लगायी थी।
गौरतलब है कि बदरीनाथ धाम से तीन किलोमीटर दूर है माता मूर्ति का मंदिर। माता मूर्ति भगवान बदरी विशाल जी की माता है। मान्यता है कि जब नर-नारायण ने अपनी माता की श्रद्धा भाव से सेवा की तो इससे खुश होकर माता मूर्ति ने उन्हें वर मांगने को कहा।
नर- नारायण ने माता मूर्ति से घर बार छोड़कर तपस्वी बनने का वरदान मांगा तो मां परेशान हो गई। लेकिन वह अपने को रोक नहीं पाई। इसलिए माता को उन्हें वचन देना ही पड़ा। जब वर्षों तक तपस्या में लीन रहने पर वे वापस नहीं आए तो माता खुद उनकी खोज में बद्रीकाश्रम पहुंची। उनकी हालात देख वे काफी दुखी हुईं बाद में नर-नारायण के आग्रह पर माता मूर्ति ने भी माणा गांव के ठीक सामने एकांत स्थान में तपस्या शुरू कर दी। तब माता ने उन्हें कहा कि तुम वर्ष में एक बार मुझसे मिलने जरूर आओगे। तब से नर- नारायण वर्ष में एक बार माता मूर्ति से मिलने यहां आते हैं। इस दिन भगवान का अभिषेक भी माता की गोद में ही होता है और माँ की गोद में ही भोग लगता हैं।
बामन द्वादशी के पर्व पर बदरीनाथ धाम में सुबह की पूजा अर्चना के बाद रावल जी की उपस्थिति में उद्दव जी भगवान बदरी विशाल के प्रतिनिधि के रूप में माता मूर्ति से मिलने बद्रीकाश्रम के बाम भाग मूर्तिधाम पहुचतें है। सनातन काल से चली आ रही इस धार्मिक परंपरा का गवाह बनने देश के ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु यहाँ पहुंचते हैं। इस धार्मिक आयोजन के बाद मुख्य पुजारी अलकनंदा नदी पार कर देव दर्शनी तक आ जा सकते हैं। इस अवसर पर सुबह दस बजे से सायं 3 बजे तक बदरीनाथ जी का मंदिर बंद रहता है और श्रद्धालुओं को माता मूर्ति माणा में ही दर्शन देते है।
इस अवसर पर बदरीनाथ धाम के रावल अमरनाथ नंबूदरी, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट, बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, पूर्व मंदिर समिति अध्यक्ष किशोर पंवार एवं मंदिर समिति के अधिकारी एवं कर्मचारी, आईटीबीपी, आर्मी के जवान और हजारों को संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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