महिषासुर वध के साथ बड़ागांव में संपन्न हुआ पौराणिक हस्तोला मेला

बड़गांव के कंतीर तोक में प्रत्येक दो सालों में हस्तोला मेले का आयोजन ग्रामीण करते हैं। शनिवार को आयोजित इस मेले को देखने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु गांव में जुटे रहे।इस मेले में प्रतीकात्मक रूप से मां दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध कर देवताओं को राक्षसी आतंक से मुक्ति दिलाई गई। मां के प्रचंड रूप की लोगों ने पूजा-अर्चना की। इस मौके पर रम्माण शैली के मुखौटों के माध्यम से मूक नृत्य का प्रदर्शन मेले में किया गया। कुरजोगी चोर, पैल- पैलवाण, मोर-मोरिन के मुखौटे नृत्य भी मेले में आकर्षण का केंद्र रहे। हस्तोला मेले मे पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप पर गणेश, सूर्य भगवान, नारद समेत अन्य मुखौटा नृत्य का आयोजन भी हुआ। रम्माण मेले की तर्ज पर 18 पत्तर व 18 तालों के साथ यह नृत्य आयोजित किया गया। इसके अतिरिक्त राम लक्ष्मण सीता का भी विभिन्न तालों में शानदार नृत्य हुआ। मेले में कुरज्वेगी ने लोगों का खूब मनोरंजन किया। एक विशेष प्रकार की चिपकने वाली घास जिसे स्थानीय भाषा मे कूरू कहते हैं, जिसको दर्शकों पर लगाया गया। मान्यता है कि आदिकाल में हिमालय क्षेत्र में हस्ती नाम के राक्षस के आतंक से ग्रामीण परेशान थे, तब मां दुर्गा ने काली रूप धारण कर हस्ती राक्षस का वध कर दिया था। तब से लोग मेले का आयोजन कर मां दुर्गा की हर्षोल्लास के साथ पूजा करते हैं। मेले में मुखौटा नृत्य के दौरान मां दुर्गा हस्ती राक्षस का वध करती हैं।
इस मौके पर समस्त ग्रामवासी बड़ागांव और दूर-दूर से आये लोग उपस्थित थे।

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