गोपेश्वर महाविद्यालय के बी०एड० विभाग में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 51 वीं पुण्य तिथि मनाई गई। इस अवसर पर बी० एड० प्रथम वर्ष के प्रशिक्षणार्थियों ने काव्य पाठ में प्रतिभाग किया।
अमीषा ने “रह जाता कोई अर्थ नहीं”, विकास ने रश्मिरथी, मयंक ने कलम या कि तलवार, संजना ने गगन का चांद, प्रीति ने कलम या कि तलवार, कृष्णा ने पुर्जे की खराबी जैसी रचनाओं के माध्यम से दिनकर के जीवन पर प्रकाश डाला। विभाग के प्राध्यापक डॉ० चंद्रेश जोगेला द्वारा भी साहित्य के क्षेत्र में रामधारी सिंह दिनकर के योगदान को बताया गया व उनकी रश्मिरथी, कुरुक्षेत्र व चक्रव्यूह जैसी रचनाओं पर प्रकाश डाला गया।
विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो० अमित कुमार जायसवाल कार्यक्रम संयोजक की भूमिका में उपस्थित रहे। प्रो० जायसवाल ने दिनकर की कविताओं में निहित चेतना और हुंकार के स्वर, समाज को जाग्रत करने वालीं कविता, “सिंहासन खाली करो कि जनता आती है”, महाभारत में कौरवों और पांडवों के मध्य का अज्ञातवास का प्रसंग, जिसमें पांडवों की तरफ़ से कृष्ण कौरवों के पास संधि का प्रस्ताव रखने के लिए जाते हैं, रश्मिरथी का वह महत्वपूर्ण प्रसंग जो कि कृष्ण की चेतावनी नाम से प्रसिद्ध है, “वर्षों तक वन में घूम घूम, बाधा विघ्नों को चूम चूम,जब नाश मनुज पर आता है, पहले विवेक मर जाता है”, जैसे प्रसंगों पर प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित किया। कार्यक्रम के दौरान विभागाध्यक्ष प्रो० चंद्रावती जोशी, वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ० अखिलेश कुकरेती, डॉ० एस० एल० बटियाटा, डॉ० चंद्रेश जोगेला,डॉ० विधि ढौडियाल, डॉ० ममता असवाल, डॉ० सबज कुमार सैनी, डॉ० हिमांशु बहुगुणा, डॉ० अखिल चमोली व डॉ कुलदीप नेगी सहित बी एड विभाग के समस्त प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे।