जाति प्रमाण पत्र में प्रतिबंधित शब्द का प्रयोग करने पर भड़के अनुसूचित जाति के लोग

-प्रमाण पत्र जारी करने वाले कर्मचारी अधिकारी की निलंबन की मांग

गोेपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले के नंदानगर घाट के जोखना गांव निवासी एक युवक के अनुसूचितजाति के निर्गत प्रमाण पत्र में उप जाति के स्थान पर प्रतिबंधित शब्द का प्रयोग किये जाने से अनुसूचित जाति के लोगों में भारी रोष व्याप्त है। जिसको लेकर गुरूवार को अनुसूचित जाति के लोगों ने तहसील घाट के माध्यम से जिलाधिकारी चमोली को ज्ञापन भेज कर ऐसे कर्मचारी और अधिकारी के निलंबन की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो उनका संगठन पूरे जिले में आंदोलन के लिए विवश होगा। हालांकि तहसील प्रशासन की ओर से इस प्रमाण पत्र को निरस्त करते हुए नया प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है।

मामला चमोली जिले के नंदानगर घाट के जोखना गांव का है। यहां के एक युवक सचिन कुमार ने सीएससी सेंटर के माध्यम से अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र दिए जाने का आवेदन किया। जिसके बाद यह आवेदन संबंधितों के माध्यम से जांच के बाद तहसील को भेजा गया जहां से इसे निर्गत किया जाना था। जब यह प्रमाण पत्र अंतिम जांच अधिकारी के बाद निर्गत हुआ तो उसमें अनुसूचित जाति की उप जाति के स्थान पर एक ऐसा शब्द उप जाति के लिए प्रयुक्त किया गया है जो कि प्रतिबंधित है। ऐसे में यह प्रमाण पत्र सोशल साइड पर खूब वायरल हुआ। जिसके बाद चमोली तहसील प्रशासन ने इस प्रमाण पत्र को निरस्त करते हुए नया प्रमाण पत्र जारी कर दिया है। लेकिन अनुसूचित जाति के लोगों में इसकों लेकर भारी रोष है। अनुसूचित जाति के शिव लाल स्नेही, जितेंद्र स्नेही का कहना है कि जब कानूनी तौर से इस शब्द का प्रतिबंध किया गया है तो इसके बाद भी उत्तराखंड में इस शब्द का प्रयोग किया जाना गलत है और ऐसे अधिकारी कर्मचारी पर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

सोशल साइड पर प्रमाण पत्र के वायरल होने के बाद संज्ञान में आया जिस पर तत्काल प्रमाण पत्र को निरस्त करते हुए नया जाति प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है।
धीरज सिंह राणा, तहसीलदार चमोली।

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