महाविद्यालय जोशीमठ में समान नागरिक आचार संहिता पर कार्यशाला का आयोजन

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जोशीमठ में समान नागरिक आचार संहिता/यू. सी. सी. से सम्बंधित सभी संभावित प्रश्नों और दृष्टिकोणों पर एक विचार गोष्ठी और संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया ताकि युवाओं में इस नवोदित क़ानून के सभी पक्षों को लेकर जागरूकता उत्पन्न हो सके।

कार्यक्रम के संयोजक और राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजेन्द्र सिंह ने विषय परिचय रखते हुए उत्तराखंड राज्य में लागू समान नागरिक आचार संहिता के महत्वपूर्ण पक्षों को सामने रखा और युवाओं का आह्वान किया कि वे स्वयं को इस कानून के प्रति जागरूक करें और भ्रम की स्थिति से बाहर आएं।

विषय पर बीज व्याख्यान देते हुए इतिहासकार डॉ. रणजीत सिंह मर्तोलिया ने विस्तार से यू. सी. सी. की अब तक कि यात्रा और उसकी आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा भारत जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बहुलतावादी देश में समान नागरिक आचार संहिता के संवैधानिक पक्ष को रखा और इसके अनुपालन में आने वाली व्यवहारिक जटिलताओं की मीमांसा भी की। डॉ. मर्तोलिया ने कहा कि उत्तराखंड में इस कानून के लागू होने के बाद विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, उत्तराधिकार, वसीयत और संपत्ति जैसे मामलों में नागरिकों के अधिकारों में एकरूपता आ जायेगी और इन महत्वपूर्ण बातों के लिए अलग अलग व्यक्तिगत क़ानून अप्रभावी हो जाएंगे। डॉ. चरणसिंह केदारखंडी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य की भांति पूरे देश में अविलंब समान नागरिक आचार संहिता लागू होनी चाहिए क्योंकि यह क़दम संवैधानिक लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करेगा। महाविद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य प्रोफेसर सत्यनारायण राव ने कहा कि देश में ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना का विकास होना चाहिए और इस दृष्टि से यू. सी. सी. एक उपयोगी क़दम है। उन्होंने सार्थक विमर्श के लिए सभी का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं की ओर से पूर्णिमा और सुधांशु सती ने इस कानून के बारे में विभिन्न प्रश्न पूछे। इस अवसर पर डॉ. नंदन रावत, डॉ. किशोरी लाल, डॉ. राहुल तिवारी, डॉ. धीरेंद्र सिंह, डॉ. नवीन पंत, डॉ. राहुल मिश्रा सहित 40 छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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