लामबगड़ के खीरों घाटी की आराध्य माता उन्याणी को समर्पित पूर्णमासी में आज भाद्रपद की पूर्णमासी तिथि को आयोजित हुआ जिसमें क्षेत्र के सैकड़ो भक्तों नर दर्शन, पूजन किये और अपने लिए मनौतियां मांगी।
हिमालयी क्षेत्र की गोद में स्थित उन्याणी माता का मंदिर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग बेनाकुली से 3 किमी0 पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। मान्यता है कि प्राचीन काल में जिस स्थान पर माता उन्याणी का मंदिर है इस स्थान पर देवी ऊना का छप्पर (ऊना नामक घास का छप्पर) में निवास करती थी। जिस कारण माता का नाम उन्याणी माता कहलाया। हर वर्ष सितंबर माह में पूर्णमासी में यह मेला आयोजित होता है। उन्याणी माता के संदर्भ में यह भी तथ्य प्रचलित है कि जो भी भक्त मात के दर्शन करता है उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। मेले में मातृशक्ति द्वारा माता के जागरों, भजनों और गीतों पर दाकुड़ी नृत्य सबको मनमोहित करता है। हर वर्ष यह मेला अपनी भब्यता के साथ प्रसिद्धि की ओर अग्रसर है। मेले के अंत में गाड़ू होता है। जिसमें माता उन्याणी के साथ अन्य देवी-देवता अवतरित होते है और भक्तों लो आशीर्वाद देकर मेला सम्पन्न होता है।