क्षेत्र की खुशहाली के लिए सिद्धपीठ चौसठमुखी लाता माँ नंदा मंदिर में कलश यात्रा, हवन एवं पूजा-पाठ के साथ शतचंडी महायज्ञ प्रारंभ

सीमांत नीती घाटी के लाता गांव में प्राचीन भगवती नंदा का दिब्य मंदिर है। यहां साक्षात चौसठमुखी देवी भगवती विराजित है। 12 वर्षों के पश्चात हिमालयी महाकुंभ के नाम से प्रचलित सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा नन्दादेवी राजजात यात्रा में सीमांत नीती-माणा घाटी और सम्पूर्ण पैनखंडा क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी भगवती की डोली लाता मंदिर से ही प्रस्थान करती है।

शारदीय नवरात्र के पवन अवसर पर इस बार मंदिर प्रांगण में शतचंडी महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। आज से शुरु हुए यहायज्ञ से पूर्व भव्य कलश यात्रा और उसे पश्चात विधि-विधान से हवन एवं पूजा-पाठ हुआ। 10 दिवसीय इस महायज्ञ का उद्देश्य क्षेत्र की खुशहाली और सुरक्षा के साथ ही भक्तों की उन्नति है। सामाजिक कार्यकर्ता एवं पर्यावरणविद लक्ष्मण सिंह नेगी कहते है कि भगवती के 108 और 52 शक्तिपीठों में से एक लाता नंदा का स्थान महत्वपूर्ण है। कहते है हिमालयवासियों की अधिष्ठात्री देवी नंदा 7 बहनों में से सबसे छोटी बहन है और क्षेत्र में खुशहाली और सुरक्षा माँ नंदा के आशीर्वाद से ही संभव है। सूकी भलगांव के प्रधान लक्षमण सिंह बुटोला कहते है कि लाता नंदा मंदिर प्रांगण में आज से शतचंडी महायज्ञ का आयोजन शुरू हो गया है और ये यहायज्ञ अगले 10 दिनों तक अनवरत चलेगा। उन्होंने कहा कि इस महायज्ञ में अधिक से अधिक भक्तों को आ कर इस दिव्य आयोजन में शामिल होकर माँ नंदा का आशीर्वाद प्राप्त करने दिव्य अवसर का लाभ लेना चाहिए। इस अवसर पर आचार्य विनय कोटिया, रामेश्वर डोभाल, मनोज नौटियाल समेत बड़ी संख्या में लाता गांव के ग्रामीण और क्षेत्र के देवी भक्त उपस्थित रहे।

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