भगवान बदरीनाथ के कपाट बंद होने से बाद आज शंकराचार्य की डोली जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर पहुंची जहां डोली का भभ्य स्वागत मंदिर समिति और स्थानीय लोगों ने किया। गद्दी आज दूरे पड़ाव पांडुकेश्वर स्थित योग बदरी और वासुदेव मंदिर में नियमित पूजा अर्चना के बाद नृसिंह मंदिर के लिए रवाना हुई। गद्दी के साथ भगवान बदरी विशाल के मुख्य पुजारी अमरनाथ नम्बूदरी और बदरीनाथ में ग्रीष्मकाल में सेवा देने वाले मंदिर समिति के अधिकारी कर्मचारी भी नृसिंह मंदिर पहुंचे। पौराणिक मान्यता है कि ग्रीष्मकाल में जब भगवान बदरी विशाल के कपाट मनुष्यों के दर्शन के लिए खुले रहते है तब धाम में मुख्य पुजारी रावल जी ही समस्त पूजाओं को संपादित करेंगे, उसके पश्चात शीतकाल में जैसे ही बदरीनाथ जी कपाट बंद होते है और शंकराचार्य की गद्दी जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर पहुंचती है तब भगवान नारायण की शीतकालीन पूजाएँ नृसिंह मंदिर में शुरू हो जाती है। पौराणिक काल में भगवान बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल जी जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में ही निवास करते थे और भगवान नारायण की नित्य पूजा संपादित करते थे। वर्तमान में रावल जी कपाट बंद होने के बाद दो पूजाएँ नृसिंह मंदिर में संपादित करते है। आज भगवान शंकराचार्य की गद्दी आज जोशीमठ पहुंचने पर बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूरी, नायाब रावल सूर्यराग पी., बीकेटीसी के उपाध्यक्ष किशोर पंवार, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट, मंदिर अधिकारी राजेन्द्र चौहान, आईटीबीपी से नरेश सिंह कुंवर, लक्ष्मण पंवार सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।