जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में पिछले कुछ वर्षों से स्थानीय महिलाओं के द्वारा भगवान बदरी विशाल को चढ़ाये जाने वाले चौलाई के लड्डू बनाए जा रहे थे जिसमें क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार मिला हुआ था तो मिला ही था उसके साथ स्थानीय पैदावार चौलाई को एक अच्छा मूल्य भी मिल रहा था। लेकिन इस बार मंदिर समिति के द्वारा इस योजना को अकारण बंद कर दिया गया है। जिसके बाद इस कार्य से जुड़ी हुई महिलाओं की आर्थिकी पर अचानक संकट पैदा हो गया है। यात्रा सीजन शुरू होते ही ये महिलाएं अपने काम पर लौट आती थी क्योंकि उनके लिए ये सीजनल रोजगार था ये यात्रा सीजन में ही इस कार्य को करती थी और मंदिर समिति द्वारा निर्धारित वेतनमान इनको दिया जाता था। मंदिर समिति द्वारा चौलाई के लड्डू बनाने और विक्रय करने वाले स्थानीय लोगों का रोजगार मंदिर समिति द्वारा समाप्त किया जाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कथन “जब लोग धामों में यात्रा पर जाय तो यात्रा का 10 प्रतिशत बजट वहां के स्थानीय उत्पादों पर ख़र्च कर स्थानीय लोगों की आजीविका बढ़ाने में मदद करे” वाली बात भी जमीन पर उतारने न देने का प्रयास है साथ वोकल फ़ॉर लोकल की मुहिम पर बट्टा लगाने जैसा है। इस वर्ष जब मंदिर समिति द्वारा नृसिंह मंदिर परिसर में अचानक महिलायों को उनके रोजगार से बंचित किया गया तब महिलाओं ने इस संबंध में बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को एक पत्र भेजा है जिसमें इस योजना को पुन आरंभ करने की बात कही गई है। पत्र में यह भी मांग की गई है कि यदि इस योजना को शुरू नहीं किया जाता है इन रोजगार से बंचित किये गए लोगों को मंदिर समिति में समावेशित किया जाय। हालांकि बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति का कहना है कि जल्दी इस योजना पर काम किया जाएगा लेकिन अभी तक योजना को शुरू करने की ठोस रणनीति भी नहीं बनी है जिससे महिलाओं की आजीविका पर इसका सबसे बड़ा असर देखा जा रहा है ज्ञापन भेजने वाली महिलाओं में मुन्नी देवी भट्ट, बिंदु देवी भट्ट, पुष्पा देवी, अनुपमा, नेहा, रुचि, अंकिता, नेहा, नीरज, विक्रम मौजूद रहे थे।