आस्था-भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद, अब शीतकाल में छह माह तक भगवान नारायण की पूजा करेंगे देवता

भगवान बदरी विशाल के कपाट आज रविवार को रात्रिकाल में 09 बजकर 07 मिनट पर शीतकाल के लिये बंद हो गये हैं। भू बैकुंठ कहे जाने वाले बदरी विशाल के कपाट बंद की तिथि पर इस बार लगभग 10 हजार से भी अधिक की संख्या में यात्रियों ने भगवान के दर्शन किये। कड़ाके की ठण्ड के बाद भी धाम में श्रद्धालुओं का जोश कम नहीं हुआ और सुबह से ही भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए लाइन में इन्तजार करते रहे।

अब छह माह तक देवता करेंगे पूजा-
भगवान बदरी विशाल के कपाट रविवार को रात्रि काल मे 9 बजकर 07 मिनट पर मिथुन लग्न पर शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। कपाट खुलने और कपाट बंद होने की अवधि तक मानव भगवान बदरी विशाल की पूजा-अर्चना और दर्शन करते हैं। मान्यता है कि जब भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद किये जाते है तो इस अवधि में स्वर्ग से उतर कर भू-वैकुंठ बदरी विशाल के दर्शन और पूजा-अर्चना देवता करते है। भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद होने पर आज भक्तों ने भगवान के इस यात्रा काल में अंतिम दर्शन किए। भगवान से छह माह का विछोह होने पर भक्त भावुक हो गए। 
शीतकाल में भगवान बदरी विशाल की और भगवान शंकराचार्य की गद्दी की पूजा 6 माह ज्योतिर्मठ स्थित नृसिंग मंदिर में होती है।
भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद होने पर 10 हजार से अधिक भक्त भगवान के दर्शन के लिए पहुंचे । कडाके की ठंड के बावजूद भी प्रातः 3 बजे से ही भक्त भगवान के दर्शन के लिए कतार पर खडे हो गए। जैसे ही तीन बजे भगवान के कपाट खुले। पूरी बदरी पुरी जय बदरी विशाल के उद्धघोश से गूंज उठी।
रविवार को दिन के बाद से भगवान बदरी विशाल के महाभिषेक के बाद कपाट बंदी की प्रक्रिया शुरू की हुयी। पूजा से पहले भगवान के शरीर से शनिवार की रात्रि को ही शयन आरती के बाद आभूषणों को उतारा गया और रविवार को प्रात: उनका फूलों से श्रृंगार किया गया। कपाट बंदी के दिन को फूल श्रृंगार के नाम से भी इसीलिए जाना जाता है। फूल श्रृंगार के बाद भगवान के शरीर पर माणा गांव की कुंआरी कन्याओं व सुहागिन महिलाओं की बनाई गई ऊन की चोली पहनाई जाएगी।
कपाट बंद होने से पहले मां लक्ष्मी का भव्य पूजन हुआ। इससे पूर्व बदरीनाथ के मुख्य पुजारी अमरनाथ नंबूदरी ने लक्ष्मी मंदिर जाकर माता लक्ष्मी को गर्भगृह में नारायण के साथ रहने का न्यौता दिया। न्यौता देने के बाद मां लक्ष्मी को नारायण के साथ गर्भगृह में प्रवेश कराया गया। इससे पहले गर्भगृह से उद्धव जी व कुबेर जी को मंदिर परिक्रमा में लाया गया कपाट बंद होने के बाद उद्धव जी बामणी गांव के नंदा देवी मंदिर में रहेंगे।

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