ज्योतिर्मठ प्रखंड के गांव पगनो बीते एक वर्ष से भूस्खलन से प्रभावित है। गांव के ऊपरी हिस्से से भारी मात्रा में भूस्खलन हो रहा है जो धीरे-धीरे पूरे गांव को अपने आगोश में ले रहा है। गांव में लगभग 110 परिवार है जिनमें से 53 परिवार इस आपदा से पूर्ण रूप से प्रभावित है और अपने गांव को छोड़कर अन्यत्र रह रहे है। प्रशासन की तरफ से राहत के नाम पर प्रभावित परिवारों को प्रति परिवार 10 से 12 टीन दी गयी है। जिससे गांव वालों ने अपने लिए अस्थायी सेड गांव में ही सुरक्षित स्थान पर बनाया है जिसमें प्रभावित परिवार रह रहा है। प्रशासन द्वारा 4 टैंट भी गांव के पास सुरक्षित स्थान में लगाये गए है लेकिन गांव वाले उनमें नहीं रह रहे है क्योंकि गांव वालों का कहना है कि इन टैंटों में जब मूसलाधार बारिश हो रही है तो पानी का रिसाव हो रहा है जिससे ये टैंट रहने के लिए सुरक्षित नहीं है। पिछले एक वर्ष से पगनो गांव के लोग भूस्खलन से उपजी आपदा के दंश झेल रहे है जिसमें कुछ ग्रामीणों के घर पूर्ण रूप से भूस्खलन के ध्वस्त हो गए है, स्कूल, आंगनबाड़ी के भवन भी इस भूस्खलन की जद में आकर जमीदोज हो गए है। रास्ते और खेत भी सब भूस्खलन की चपेट में आ कर बर्बाद हो गए है। शासन-प्रशासन भी पगनो गांव के लोगों की समस्या को अनदेखा कर सिर्फ गांव में प्रशासन के कुछ लोग भेज कर इतिश्री कर रहा है। जबकि एक वर्ष से लगातार हो रहे भूस्खलन से लोग परेशान है और प्रशासन को बरसात से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजामात कर देना चाहिए था लेकिन प्रशासन पूरे वर्ष भर सोया रहा है और लोगों के समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिए जिस कारण एक बार फिर से पगनो गांव के लोग आपदा के साये में जीवन गुजारने के लिए मजबूर है।गांव के ऊपरी छोर से हो रहा ये भूस्खलन लगभग 1 से 2 किलोमीटर क्षेत्र को अपने आगोश में ले चुका है और लगातार गांव की तरफ बढ़ रहा है। बरसात के इस सीजन में जैसे ही मूसलाधार बारिश हो रहे है तो घरों में मलबा, पानी घुस रहा है। ग्रामीण रात के अंधेरे में और भूस्खलन के साये में डरे-सहमे रात गुजारने के लिए मजबूर है। सरकार भी हाथ पर हाथ धरे पगनो गांव के लोगों की पीड़ा को अनदेखा कर पूरा गांव भूस्खलन की चपेट में आने का इंतजार कर रही है तो प्रशासन गांव के हालात से रु-ब-रु होने के बाद भी ग्रामीणों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहा है जिससे पगनो गांव के लोग शासन-प्रशासन की उदासीनता के चलते मायूस है और अपने हाल पर जीने के लिए मजबूर है। गांव में आशक्त, विकलांग विधवा लोगों के आंखों से निकल रहे आंसू अपने आशियाने को उजड़ते देखने का दुःख बयां कर रहे है। गांव की दुर्गी देवी, अनिता देवी, रोशनी देवी का कहना है कि पिछले एक साल से हम भूस्खलन से उपजी आपदा के साये में रहने के लिए मजबूर है, शासन-प्रशासन की तरफ से राहत के तौर पर उनको 10-12 टीन की प्रशासन की तरफ से मिली है जिससे को अपने रहने के लिए आशियाना बनाएं या फिर अपने मवेशियों के लिए सेड बनाये। उनका कहना है कि शासन-प्रशासन ने उनको, उनके हाल पर छोड़ दिया है उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
गांव के ही अनुसूया प्रसाद सुंदरियाल, शिव सिंह पंवार जो कि दृष्टिबाधित और आशक्त है वो कहते है कि सरकार की तरफ से उनके लिए आज तक कोई भी, किसी भी प्रकार से राहत नहीं दी गयी है। उनका कहना है कि इस आपदा में उनके ऊपर मुसीबतों का पहाड़ जैसा टूट पड़ा है और सामान्य लोगों की अपेक्षा आपदा की मार उनपर ज्यादा पड़ी है।