जोशीमठ के बाद चट्टान टूटने के बाद सड़क क्षतिग्रस्त हो गयी है। जिसके बाद आवागमन करने वाले यात्री और स्थानीय जान जोखिम में डालकर गंतब्य तक पहुंच रहे है। टीसीपी से चढ़ाई चढ़ कर लोग कच्चा पहाड़ वाले स्लाइड से नीचे उतर रहे है जो अत्यंत खतरनाक और जोखिम भरा रास्ता है। इस वैकल्पिक मार्ग पर प्रशासन की तरफ से कोई एसडीआरएफ या पुलिस के सुरक्षा कर्मी तैनात नहीं है। न ही सुरक्षित विकल्प रास्ता बताने वाला कोई मौजूद है। आवागमन करने वाले इतने जोखिम के साथ उतर रहे है कि कोई भी दुर्घटना हो सकती हैं। पहाड़ की इन पगडंडियों पर आवागमन करने का मतलब है जान हथेली पर रख कर गंतब्य तक पहुंचना। मानसून का सीजन अभी शुरू ही हुआ है और पहाड़ों के दरकने का सिलसिला शुरू हो गया हैं। इन दिनों पहाड़ों में यात्रा करना अत्यंत जोखिम भरा होता है और कभी भी कहीं भी पहाड़ दरक सकते है, सड़क बाधित हो सकती है। इन परिस्थितियों को देखते हुए भूस्खलन क्षेत्रों के आस-पास वैकल्पिक मार्ग विकसित करने की जरूरत है जो पहाड़ों में यात्रा के वैकल्पिक साधन हो सकते है।