उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून और 1950 के मूल निवास कानून लागू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति उत्तराखंड पूरे राज्य में पहले से ही इस मामले को लेकर मुखर है।आज भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की जिला ईकाई और ज्योतिर्मठ के प्रबुद्धजनों द्वारा उपजिलाधिकारी ज्योतिर्मठ के माध्यम से उत्तराखंड के महामहीम राज्यपाल को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में कहा गया है कि भारत मे अधिवासन को वर्ष 1950 आधार वर्ष माना गया है, प्रेसिडेंशियल नोटिफिकेशन 08 अगस्त 1950 और 06 सितंबर 1950 में प्रकाशित किया गया था। जिसमें भारत में अधिवासन के लिए स्पष्ट किया गया था कि साल 1950 में जो भी व्यक्ति जिस राज्य में मौजूद है वो वहीं का मूल निवासी होगा। लेकिन सरकार द्वारा उत्तराखंड के हकों को छीनकर दोहरे मापदंड अपनाए गए है और राज्य के मूल निवासियों पर जबरन स्थायी निवास थोपा गया है। इसके अलावा ज्ञापन में राज्य में सशक्त भू-कानून लागू करने की भी मांग की गई है। कहा गया है कि 2017-18 का संसोधित भू-कानून को तत्काल रद्द कर सशक्त भू-कानून लागू किया जाय जिससे राज्य के लोगों की कृषि भूमि की खरीद फरोख्त पर रोक लग सकेगी और राज्य का व्यक्ति राज्य में रहकर अपनी आजीविका बढ़ा सकेगा।
ज्ञापन देने वालों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला चमोली के जिला सचिव कॉमरेड भरत सिंह कुंवर, प्रताप सिंह राणा, दलीप सिंह, भरत सिंह बिष्ट, हरक सिंह डुंगरियाल, बचन सिंह समेत कई लोग उपस्थित थे।