वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ खुले श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुले

ग्रीष्मकाल में छः मास विधिवत पूजा और श्रद्धालुओं के दर्शनों हेतु हुआ नर और नारायण का मिलन। तय समय के अनुसार आज प्रातः 6 बजे ब्रह्ममुहूर्त में हजारों भक्तों की मौजूदगी और श्री नारायण के जयकारों के साथ खुल गए श्री बदरीनाथ धाम के कपाट।

मान्यतानुसार विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम में श्रीनारायण की पूजा शीतकाल में छः मास देवता करते है उसके पश्चात ग्रीष्मकाल में छः मास भगवान नारायण की पूजा मनुष्य करते है।

कपाट खुलने से पूर्व मुख्य पुजारी रावल जी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा समस्त पूजाएं एवं कपाट खुलने से पूर्व की औपचारिकताएं पूर्ण की गयी और ब्रह्ममुहूर्त में भगवान नारायण के कपाट खोल दिए गए है।
भगवान नारायण के महाभिषेक के साथ आज से धाम में वेद, ऋचाओं का मंत्रोच्चारण और पूजाएं प्रारंभ हो गयी है।
बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा मंदिर को 15 कुंतल पुष्पों से शानदार ढंग से सजाया गया है। कपाट खुलने के अवसर पर धाम में लगभग 8 से 10 हजार श्रद्धालुओं की मौजूदगी रही। हालांकि धाम में हल्की बूंदाबांदी और कड़ाके की ठंड पड़ रही है बावजूद श्रद्धालुओं में कपाट खुलने का उत्साह कम नहीं है। बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड के चार धामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री सभी के कपाट खुल गए है।
सभी धामों में से श्रेष्ठ श्री बदरीनाथ धाम के बारे में कहावत प्रचलित है कि “जो जाए बदरी, वो न आए ओदरी” यानि जो व्यक्ति बदरीनाथ के दर्शन कर लेता है उसे जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। इसीलिए श्री बदरीनाथ धाम को धरती का बैकुण्ठ धाम भी कहा जाता है।
कपाट खुलने के अवसर पर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अधिकारी, कर्मचारी एवं शासन-प्रशासन के साथ ही तहसील, जिला प्रशासन, नगर पंचायत बदरीनाथ के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।

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