पीएचडी के लिए आधारभूत शोध पाठ्यक्रम के अंतर्गत व्याख्यान श्रृंखला का हुआ समापन

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर में पीएचडी के लिए अत्यावश्यक प्री पीएचडी कोर्स वर्क के आधारभूत शोध पाठ्यक्रम का समापन हो गया है। शोध विकास समिति के द्वारा 1 मार्च से प्री. पीएच. डी कोर्स वर्क का संचालन किया जा रहा था। इसमें पंजीकृत शोधार्थियों हेतु रिसर्च मेथोडोलोजी, रिसर्च पब्लिकेशन एंड एथिक्स विषय पर विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिए गए। व्याख्यान श्रृंखला का उद्देश्य शोधकार्य में आने वाली चुनौतियों का समाधान, शोध को दिशा देना, संक्रियात्मक रूपरेखा तैयार करना और शोधार्थियों की उच्च शिक्षा में शोध के लिए प्रेरित करना रहा है।
समापन के अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर एम पी नागवाल ने रिसर्च स्कॉलर्स को रिसर्च अनुभवों को साझा करते हुए महाविद्यालय में हो रहे शोधकार्यों के बारे में बताया। उन्होंने रिसर्च सेल को प्री पीएच डी कोर्स वर्क को सफलतापूर्वक संचालित करने हेतु बधाई दी।
डॉ. बी.पी देवली के द्वारा शोधकार्य को वर्तमान समय में शोध की महत्ता, शोध के क्षेत्र में नवीन विषयों और रिसर्च सुपरवाइजर के चयन पर विशेष महत्व देते हुए शोधार्थियों को भावी शोध के लिए शुभकामनाएं दी गई।
शोध कार्यक्रम की समन्वयक डॉ.चंद्रावती जोशी द्वारा शोधार्थियों को विभिन्न सत्रों में दिए गए सैद्धांतिक ज्ञान को शोध के चयन, क्रियान्वयन एवं निष्कर्ष रूप में परिणामों को समाज, संस्थाओं, विश्वविद्यालयों में प्रस्तुत करने के महत्व के विषय में बताया। प्रोफेसर ए. के. जायसवाल ने सभी शोधार्थियों को आगामी शोध अभिवृति के कार्यक्रम में प्रतिभाग करने को प्रोत्साहित किया।
डॉ मनीष डंगवाल ने रिसर्च टॉपिक का चुनाव , गाइड की महत्ता, और रिसर्च गुणवत्ता पर शोधार्थियों को इनका महत्व समझाया। डॉ जे एस नेगी ने सभी शोधार्थियों को महाविद्यालय के अनुभवी फैकल्टी से उनके अनुभवों से सीखने की बात कही।
शोधार्थियों ने फीडबैक में अनुभव साझा करते हुए बताया कि प्री पीएच डी कोर्स वर्क में दिए गए व्याख्यानों से उनके शोध के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव आया। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम व्यावहारिक रूप से शोध की जटिलताओं को समझने एवं क्रियान्वयन की प्रक्रिया को जानने में सहायक सिद्ध हुआ।
इस अवसर पर डॉ अखिलेश कुकरेती, डॉ भावना मेहरा, डॉ पूनम टाकुली, डॉ अभय कुमार, डॉ रचना टम्टा ल, डॉ विनीता नेगी, डॉ प्रेमलता डॉ सौरभ, डॉ घनश्याम एवं सभी शोधार्थी उपस्थित थे।

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