लोकपाल का लक्ष्मण मंदिर के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ खुले

हिंदुओं के पवित्र तीर्थ लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट 4 माह हेतु श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रीति-नीति के साथ कल खोल दिए गए है।
15225 फीट की ऊंचाई पर स्थित करोड़ों हिंदुओ का आस्था का केंद्र पौराणिक लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट आज वैदिक मंत्रोच्चार और विधि विधान से खुल गए है। इसको लेकर पूर्व से ही लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट खुलने की तैयारियां चल रही थी। आज पुलना- भ्यूंडार घाटी के ग्रामीण पुजारी भगवती प्रसाद पांडेय के नेतृत्व में हेमकुंड पहुंचे और दोपहर बाद 2 बजकर 15 मिनट पर मंदिर के कपाट शीतकाल के बाद दर्शनों हेतु खोल दिए गए है। कपाट खुलने के बाद लोकपाल लक्ष्मण मंदिर की विशेष पूजा-अर्चना वैदिक मंत्रोच्चार के साथ की गई। देश-प्रदेश और विश्व की सुख शाांति और समृद्धि की कामना की गई। पुजारी भगवती प्रसाद पाण्डेय सहित स्थानीय ग्रामीणों ने पवित्र हेमकुंड सरोवर में आस्था की डुबकी लगाकर विशेष पूजा अर्चना की।
लोकपाल लक्षमण मंदिर को त्रेता युग का पौराणिक तीर्थ माना जाता है। अयोध्या से निर्वासन के बाद लक्ष्मण ने शेषनाग के रूप में यहां पर तपस्या कर साकेत लोक गए थे।
यह भी मान्यता है कि लक्ष्मण महाराज ने अपने पूर्व जन्म में पवित्र हेमकुंड के समीप बासुकी नाग (शेष नाग) के रूप में तपस्या की थी जिसके परिणामस्वरूप त्रेतायुग में लक्ष्मण जी ने बड़े-बड़े असुरों को परास्त किया। एक अन्य मान्यता है कि सम्पूर्ण विश्व में लोकपाल में लक्ष्मण जी का यह एकमात्र मंदिर है जहां लक्ष्मण जी अकेले विराजित है।

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