सीमांत नीती घाटी में टिम्मरसैण महादेव के दर्शनों को उमड़ रही है भीड़

जोशीमठ प्रखंड के नीती घाटी में स्थित है एक अद्भुत दर्शनीय स्थल टिम्मरसैण महादेव जहां बर्फ के शिवलिंग के रूप में भगवान शिव भक्तों को दर्शन देते है। पिछले भारत-तिब्बत सीमा से लगा देश का अंतिम गांव नीती जहां वर्ष के छः माह भोटिया जनजाति के लोग निवास करते है और जैसे ही ठंड बढ़ती है बर्फवारी शुरू हो जाती है तो लोग तराई वाले क्षेत्रों में निवास के लिए प्रवास करने आ जाते है। वर्ष के छः महीने गर्मियों के सीजन में जब नीती गांव में लोग निवासरत होते है तो ये पूरा सीमांत गांव मानवीय चहल-पहल से आबाद रहा है और लोग टिम्मरसैण महादेव के दर्शनों को भारी मात्रा में पहुंचते रहते है। सीमांत क्षेत्र में स्थित टिम्मरसैण महादेव जहां लोगों की आस्था का केंद्र बनता जा रहा है वहीं यहां बर्फ का शिवलिंग बनना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। इन दिनों जैसे ही मौसम साफ हुआ और सीमा सड़क संगठन ने सीमांत सड़कों से बर्फ हटाने का काम पूरा किया तो टिम्मरसैण महादेव के दर्शनों को पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की तादाद दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। घाटी अभी भी चारों तरफ से बर्फ से ढकी हुई है और टिम्मरसैण में बर्फ के बड़े-बड़े शिवलिंग जहां लोगों की आस्था को सीमांत क्षेत्र की तरफ खींच रही है वहीं श्रद्धालुओं में जहां पहुंचने उत्सुकता भी बढ़ती जा रही है। उचित संसाधन और प्रचार-प्रसार न होने से टिम्मरसैण महादेव देश दुनियां की नजरों से ओझल है जिस कारण स्थानीय लोग ही टिम्मरसैण महादेव के दर्शनों को पहुंच पाते है। अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह से भोटिया जनजाति के ऋतु प्रवासी नीती घाटी के गांवों में छः माह प्रवास के लिए आ जायेगें उसके बाद पूरी नीती घाटी गुलजार हो उठेगी। स्थानीय लोग छः माह इन गांवों में अपनी गाय-बछड़ों के साथ आते है और खेतों में आलू और राजमा बोते है जो तराई प्रवास के समय तैयार हो जाती है। टिम्मरसैण महादेव के दर्शन कर लौट अशोक सकलानी का कहना है कि बर्फ से बने शिवलिंग के दर्शन कर और बर्फ से ढकी नीती घाटी में पहुंच कर उन्हें असीम शांति और मन में भगवान के दर्शन कर काफी अच्छा महसूस हुआ। वो कहते है कि नीती घाटी में स्थित टिम्मरसैण महादेव का प्रचार अमरनाथ की तर्ज पर होता है तो सीमांत क्षेत्र का विकास तो होगा ही साथ रोजगार के अवसर भी यहां स्थानीय लोगों को प्राप्त होंगे।

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